ऐ ईमान वालो यकिन जान लो की हर फ़र्ज़ से बड़ा और एहम फ़र्ज़ ईमान की हिफाज़त है।
और ईमान मेहबूब ऐ खुदा नबी ऐ करीम (सल्लल्लाहो तआला व सल्लम) की गुलामी और मोहब्बत की नाम है।
(हदीस शरीफ )
हजरत अनस रज़िअल्लाहु तआला अन्हो से रिवयत की है रसूलल्लाह (सल्लल्लाहो तआला सल्लम) ने फ़रमाया की कोई शक्श उस वक़्त तक मोमिन नही हो सकता जब तक की में उस के माँ बाप बेटे और तमाम लोगो से ज्यादा मेहबूब न हो जाँऊ ।।
(बुखारी जिल्द 1 स 7 मुस्लिम जिल्द 1 स 49)
आशिक़े रसूल अला हज़रत पेशवाए अहले सुन्नत इमाम अहमद रजा फ़ज़िले बरेलवी रहमतुल्लाह तआला अलैह फरमाते हे
(अल्लाह की सर ता ब कदम शान हे यह इन सा नहीं वह इंसान हे यह कुरआन तो ईमान बताता है इन्हे ईमान यह कहता हे मेरी जान हे यह)
****************************************************************
क्यों रज़ा आज गली सुनी हे।
उठ मरे धूम मचाने वाले।
डाल दी क़ल्ब में अज़मते मुस्तफा
सय्यिदि आला हज़रत पे लाखों सलाम।।
हज़रात ! आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फ़ाजीले बरेलवी रहमतुल्लाह तआला अलैह ने पूरी ज़िन्दगी अल्लाह व रसूल जल्ला शानुहु वसल्लल्लाहो तआला सल्लम की इताअत व फरमा बरदारी में गुजारी। आला हज़रत रज़िअल्लहो तआला अन्हो महबूबे ख़ुदा रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला सल्लम पर जान व दिल से फ़िदा व क़ुरबान थे
फरमाते हे या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला सल्लम
(दहन में जुबां तुम्हारे लिए बदन में हे जाँ तुम्हारे लिए
हम आए यहाँ तुम्हारे लिए उठे भी वहाँ तुम्हारे लिए)(हदाइके बक्शीश)
आला हज़रत शरीअत व सुन्नत के जबरदस्त आलिम थे सहाबा ए किराम और अहले ब बैंत के आशिक़े ए सादिक और वफादार गुलाम थे
अहले सुन्नत का बेड़ा पार अस्हाबे हुज़ूर
नज्म हे और नाव हे इतरत रसूलल्लाह की
(हदाइके बक्शीश)
और फरमाते हे
उनके मोला की उन पर करोड़ो दुरुद
उनके अस्हाबो इतरत पे लाखों सलाम
(हदाइके बक्शीश)
आला हज़रत ख़ुलफ़ाए राशिदीन हज़रत अबु बकर सिद्दीके अकबर। हज़रत उमर फ़ारूके आज़म. हज़रत उस्मान ग़नी। हज़रत अली शेरे ख़ुदा रज़ियल्लाहु तआला अन्हुम के सच्चे जाँ निसार और मदह ख़्वाँ थे
खलीफा ए अव्वल ! अबु बकर सिद्दीके अकबर रज़ियल्लाहू तआला अन्हो की शान यूँ बयान फरमाते हे
सायए मुस्तफा मायए इस्तफ़ा
इज्जो नाज़े ख़िलाफ़त पर लाखों सलाम
ख़लीफ़ए दोंम! वह उमर जिसके आदा पे शैदा सकर
उस ख़ुदा दोस्त हज़रत पे लाखों सलाम
ख़लीफ़ए सोम ! हज़रत उस्मान गनी नूरऐन रज़ियल्लाहू तआला अन्हो के मक़ाम व मरतबा को यूँ बयान फ़रमाया
दुर्रे मन्सूर कुरआँ की सिलक बही
जौजे दो नूर इफ़्फ़त पे लाखो सलाम
खलीफा ए चाहरूम हज़रत मोला अली शेरे खुदा रज़ियल्लाहू तआला अन्हो की इज्जत व बुजुर्गी का ख़ुत्बा यूँ पड़ते है
शेरे समशीर जन शाहे खैबर शिकन
परतवे दस्ते कुदरत पे लाखो सलाम
अहले बैंत पाक आले रसूल हज़रत सय्येदा फातिमातुज्जोहरा हज़रत सैय्यदना इमाम हसन इमाम हुसैन रज़ियल्लाहू तआला अन्हो अज़मीईन की क़राबत की अज़मत को यूँ बयान फ़रमाया
तेरी नस्ले पाक में है बच्चा बच्चा नूर का
तू हे ऐने नूर तेरा सब घराना नूर का
और फरमाते हे
और जितने हे शहजादे उस शाह के
उन सब अहले मकानत पे लाखो सलाम
*************************************************************
ईमान वालो का अक़ीदा की नबी ख़ुदा का नूर है : ए ईमान वालो मुलाहिज़ा फरमाए की जिनके दिलो में रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला सल्लम से बुग्ज़ व इनाद था उन्होंने रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला वा सल्लम को नूर मानना तो दूर नूर मानने वालो को काफिर तक लिख दिया और जिनका सीना इश्क़ और मोह्हबत का मदीना हे यही आशिक़े रसूल आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा रहमतुल्लाह तआला अलैह लिखते है की हमारे रसूल सल्लल्लाहो तआला व सल्लम नूर हे और अपने आक़ा सल्लल्लाहो तआला व सल्लम की गुलामी का हक़ अदा करते हुए क़ुरआने मजीद से सबूत पेश करते हे
हजरात ! अल्लाह पाक ने क़ुरआने मजीद में हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को नूर फ़रमाया हे
तहक़ीक़ आया तुम्हारे पास ख़ुदा की तरफ से एक नूर और एक किताब रोशन (पारा 6 रुकूअ 7)
आला हज़रत फरमाते हे की उलमा फरमाते हे की यहाँ नूर से मुराद नबी पाक सल्लल्लाहो तआला व सल्लम हे
(मजमूअए रसाइल मसअला नूर और साया स.62)
तमाम मुहद्दिस और आइमा फरमाते हे की आयत करीमा में नूर से मुराद हुज़ूर सरापा नूर सल्लल्लाहो तआला व सल्लम हे
(तफ़्सीर इब्ने जोज़ी जिल्द 2 स. 317)
हज़रात हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को अल्लाह तआला का नूर न मानना कुरआन का इन्कार है जो कुफ्र है!
हदीस शरीफ : हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया ऐ जाबिर अल्लाह तआला ने बेशक सबसे पहले तेरे नबी के नूर को अपने नूर से बनाया !
इस हदीस को हज़रत इमाम बुखारी रहमतुल्ला आलें के दादा उस्ताद ने मोसन्नफ अब्दुलरज्जाक में अल्लामा कस्तलानी मवाहेबुल लदुन्नियाह शरीफ जिल्द 1 स. 9 पर अल्लामा हल्बी ने सिरते हल्बिया जिल्द 1 स,37 पर अल्लामा इब्ने हज़र मक्की ने फतावा हदीसियाह जिल्द 1 स.51 अल्लामा फ़ासी ने मतालेउल मसरात स्. 210 पर अल्लामा जुर्कानी शरीफ जिल्द 1 स. 46 पर अल्लामा यूसुफ नाबाहनी हुज़्ज़तुल्लाह अलल आलमीन स्.28 पर अल अनवारुल मोहम्मदिय स. 9 पर लिखा हे
1 हज़रत क़ाज़ी इयाज़ रहमततुल्लाह ने लिखा की जब आप सल्लल्लाहो तआला व सल्लम कलाम फरमाते तो दाँतो से नूर छनता नज़र आता
(शिफ़ा शरीफ जिल्द 1 स.55 तिर्मिज़ी शरीफ स. 302 )
2 और हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला व सल्लम का चेहरा चोदहवी रात के चाँद की तरह चमकता
(शिफ़ा शरीफ जिल्द 1 स. 51 )
3 और अल्लामा जलालुद्दीन सुवती रहमततुल्लाह लिखते हे जब हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला व सल्लम हसते दीवारे रोशन हो जाती (खसाइके कुबरा जिल्द 1 स. 179 )
4 मश्हूर आशिक़े रसूल इमाम युसूफ नबहानी रहमतुल्लाह लिखते हे की जब हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला व सल्लम पैदा हुए उनके नूर से मशरिक़ से मगरिब तक मुन्नवर हो गया (अनवारे मोहम्मदिया जिल्द 1 स. 240)
5 मश्हूर मोहद्दिस इमाम जलालुद्दीन सुवती रहमतुल्लाह फरमाते हे जब हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला व सल्लम पैदा हुए तमाम दुनिया नूर से भर गई (खसाइके कुबरा जिल्द 1 स. 118 )
6 हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला व सल्लम की वालिदा माज़िदा हज़रत आमिना तय्यिबा रजिअल्लाह हु अन्हा फरमाती हे मैने उसके सर से एक नूर बुलंद होता देखा की आसमान तक पंहुचा (खसाइके कुबरा जिल्द 1 स. 122 )
7 उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीका रजिअल्लाह हु अन्हा फरमाती हे की में कपडा सीती थी सुई गिर पड़ी तलाश की न मिली इतने में रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम तशरीफ़ लाए हुज़ूर के नूर की शुआ से सुई जाहिर हो गई
( तरीक़ इब्ने असाकर बा हवाला खसाइके कुबरा जिल्द 1 स. 156 )
8 जलिलुक़द्र मोहद्दिस इमाम मुहम्मद अल मेहंदी अलफासी लिखते हे की नबी सल्लल्लाहो तआला व सल्लम के नूर से अधेरा घर रोशन हो जाता (मतालेउल मसर्रत स. 313)
******************************************************************
वहाबी नबी सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को नूर नहीं मानता
1 अहले हदीस मोलवी अहमद दीन का अक़ीदा हे की नबी को नूर समझने वाले और यहूदो में कोई फ़र्क़ नहीं
(बुरहानुल हक़ स. 101 )
2 अहले हदीस कहलवाने वाले का अक़ीदा हे रसूलअल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को ख़ुदा का नूर मानना कुफ्र हे
(सहीफ़ए अहले हदीस कराची स. 5 28 नवम्बर 1954 )
********************************************************************
वहाबी देवबंदी का अक़ीदा हे की नबी को इल्म ए ग़ैब नहीं
1 इमामूल वहबिया मोलवी इस्माइल देहलवी का अक़ीदा की रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को न कुछ ताक़त हे न कुछ इल्म ए ग़ैब! उनकी ताक़त का तो ये हाल हे की अपनी जान तक को भी नफा व नुक्सान के मालिक नहीं तो दुसरो को क्या नफा पंहुचा सकते हे और उन्हें इल्म ए ग़ैब होता पहले हर काम का अंजाम मालूम कर लेते और अगर भला मालूम होता तो उस काम को कर लेते और अगर बुरा मालूम होता तो क्यों उस बुराई में कदम रखते अल ग़रज़ उनको न कुछ ताक़त हे और न उनको ग़ैब हे
(तक़वीयतुल ईमान स. 41 )
2 रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को अपना हाल की क़ब्र में और क़ियामत के दिन मरे सात अच्छा होगा या नहीं कुछ मालूम नहीं (तक़वीयतुल ईमान स. 41 )
3 वहाबी देवबंदी के पेशवा मोलवी खलील अहमद अम्बेटवी का अक़ीदा रसूलल्लाह को दीवार के पीछे का इल्म नहीं और लिखता हे की शैतान और मलकुल मोत का इल्म कुरआन से साबित हे और रसूलल्लाह का साबित नहीं और जो रसूलल्लाह का इल्म साबित करे वो मुशरिक हे (बराहिने कतिया स. 51 )
और मोलवी खलील अहमद अम्बेटवी इस किताब में लिखते हे की एक शख्श ने हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को उर्दू में बात करते सुना ख़्वाब में देखा तो पूछा की आप को यह कलाम कहा से आ गई आप तो अरबी हे तो फ़रमाया की जब से मेरा उलमा ए देवबंद सेव हमारा मामला हुआ हे हमको ये जबान आ गई
(बराहिने कतिया स. 26 )
3 गैर मुकलिद अहले हदीस कहलाने वाले का अक़ीदा हे की : नबी हो या वाली या पीर हो या फरिश्ता हो किसी के लिया ग़ैब मानना शिर्क हे (मोलवी रफ़ीक़ खान पिसरवी इस्लाहे अक़ाईद स. 153 )
4 जमाते इस्लामी के बानी और अमीर मोलवी अबुल आला मौदूदी का अक़ीदा हे : रसूलल्लाह अनपढ़ जंगली और देहाती थे (माज़ल्लाह)
(तफहीमात जिल्द स. 249 )
14 गैर मुकलीद और अहले हदीस कहलाने वालो के मोहद्दिस मोलवी नज़ीर हुसैन देलहलवी का अक़ीदा हे : उम्मुल मोमिनीन हज़रात आयशा सिद्दीका रज़िअल्लहुअन्हा का हार घूम हो गया तो रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को आयशा के मुतल्लिक गुनाह का शक उस्वक़्त तक रहा की जब तक की अयात बरात नाजिल न हुई (फतवा नज़ीरिया जिल्द 1 स. 24 )
! ईमान वालो का अक़ीदा !
हज़रात अल्लाह तआला ने खुद अपने महबूब रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम के इल्म ग़ैब की शान व अज़मत को क़ुरआन मजीद में बयान फ़रमाया है
1 ग़ैब का जानने वाला अपने ग़ैब पर किसी को मुसल्लत नहीं करता सिवाए अपने पसंदीदा रसूलों के (कन्जुल ईमान पारा 29 रुकुह 12 )
2 क़ुरान मजीद में अल्लाह पाक इरशाद फ़रमाता हे :और यह नबी ग़ैब बताने में बख़ील नहीं (कन्जुल ईमान पारा 30 रुकुह 6 )
3 और तुम्हे सीखा दिया जो तुम न जानते थे और अल्लाह का तुम पर बड़ा फज़ल हे (कन्जुल ईमान पारा 5 रुकुह 14 )
हदीस शरीफ
1 मुझसे जो पूछना हे पूछ लो (सही बुखारी जिल्द 1 स. 19 )
2 रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम ने एक बार हम में खड़े हो कर इब्तिदाय आफ़रिनिश से लेकर जन्नती के जन्नत और दोज़ख़ियों के दोज़ख में जाने का हाल हम से बयान फ़रमाया (सही बुखारी जिल्द २ स. 1083 )
3 हज़रत अबु ज़ैद रजिअल्लाह अन्हु से रिवायत हे की : रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम हम को जो कुछ भी पहले हो चूका और जो भी आइन्दा होने वाला था तमाम बयान फ़रमा दिया (सही मुस्लिम जिल्द 2 स. 290 )
4 हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत हे की रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम ने फ़रमाया जो कुछ आसमान और जामीन में हे मरे इल्म में है ( तिर्मिज़ी शरीफ मिश्कात शरीफ स. 70 )
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फ़ज़िले बरेलवी रज़ियल्लाहु अन्हु लिखते हे
हज़रात इमाम बुखारी ने इस हदीस को सही फ़रमाया (इम्बॉउल मुस्तफा बिहाले सिरे व इख्फा स.5 )
5 इमाम बुखारी तहरीर फरमाते हे की: रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम सहाबा के सात गुजर रहे थे की दो कब्रो के पास खड़े हो कर फ़रमाया की इन क़ब्र वालो को अज़ाब हो रहा हे एक पेशाब के छिटो से नहीं बचता था और दूसरा ग़ीबत करता था ( सही बुखारी शरीफ स. 35 मिश्कात शरीफ स. 42 )
हज़रात हमारे प्यारे आक़ा रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम के इल्म ए गैब के सबूत में यह चंद हदीस बुखारी शरीफ मुस्लिम शरीफ मिश्कात शरीफ के हवाले के सात पेश कर दी गई हे
वरना सिहाह सित्ता की किताबो के अलावा मुवाहिबुल लदुन्निया शरीफ, शिफ़ा शरीफ ,नसीमुरियाज़ , मदरेजुन्नबुव्वत , यह सुब हदीस की किताबे और इनके अलावा मोहद्दिसो व आइमा की किताबें सल्लल्लाहो तआला व सल्लम के इल्म ए गैब की शान व अज़मत को जाहिर और साबित करती नज़र आती है
हज़रात इल्म ए गैब के बारे में तफ़्सीली मालूमात के लिया आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फ़ज़िले बरेलवी रहमतुल्लाह तआला अलैह की किताब ख़ालिसुल एतिक़ाद का मुत्तला कीजिये
*********************************************************************
मुनाफ़िक़ ने कहा की मुहम्मद सल्लल्लाहो तआला व सल्लम गैब की बात क्या जाने,
हदीस शरीफ हे तफ़सीरे इमाम तबरी में और तफ़सीरे दुर्रे मंसूर में हज़रत इमाम बुखारी और हज़रत इमाम मुस्लिम के उस्ताद हज़रत अबु बक्र बिन अबी शैबह से रिवायत हे और दूसरे आइमा ए किराम व मोहद्दिसिन इजाम हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु के ख़ास शार्गिद सैयदना इमाम मुजाहिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत करते हे की फ़रमाया अल्लाह तआला के फरमान की तफ़्सीर में की मुनाफीक़ीन में से एक मुनाफ़िक़ ने कहा की मुहम्मद सल्लल्लाहो तआला व सल्लम हम से बयान फरमाते हे की फला की ऊंटनी फला वादी में है भला वह गैब की बात क्या जाने (ख़लिसुल एतिक़ाद स.15)
हज़रात अल्लाह ने मुनाफ़िक़ों की पहचान बयान फरमा दी की नबी सल्लल्लाहो तआला व सल्लम के गैब का इंकार करना सहाबा ए किराम के ज़माने में मुनाफ़िक़ों की अलामत थी सहाबा किराम अपने नबी सल्लल्लाहो तआला व सल्लम के लिया गैब लाजमी तोर पर मानते थे और मुनाफ़ी क्यू इंकार करते थे इस दोर में भी ईमान वाले अपने रहीम व करीम सल्लल्लाहो तआला व सल्लम के लिया इल्म इ गैब मानते हे और वहाबी देओबंदी तब्लीगी इल्म ए गैब का इंकार करते हे तो अल्लाह तआला ने क़ुरआन मजीद में फतवा सादिर फरमा दिया जो भी नबी पाक सल्लल्लाहो तआला व सल्लम के इल्म इ गैब का इंकार करे वो मोमिन नहीं बल्कि काफिर और मुनाफ़िक़ हे
*******************************************************************************
वहाबी देवबंदी का अक़ीदा हे नबी को कुछ ताक़त नहीं
हज़रात अहले हदीस कहलाने वाले वहाबी और देओबंदी तब्लीगी फ़िर्को का अक़ीदा हे की रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को कुछ ताकात नहीं और न इल्म इ गैब हे उनकी ताकात का तो यह हाल हे की वो अपनी जान तक को नफा नुकसान के मालिक नहीं तो दुसरो को क्या नफा पंहुचा सकते है :(ताकवियाहतुल ईमान स. 58 )
ईमान वालो का अक़ीदा की नबी सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को हर ताकात हासिल है
हज़रात अल्लाह तआला ने अपने महबूब रसूल सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को तमाम नेअमत व दौलत रहमत व बरकत और हर खैर ख़ज़ानों की कुंजी का मालिक व मुख़्तार और हर शर और बला के दूर करने की ताकात व कुव्वत अता फरमा कर आप सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को दाफेईल बला और मुश्किल कुशा बनाया हे
1 अल्लाह तआला क़ुरआन मजीद में इरशाद फ़रमाता हे
और अल्लाह का काम नहीं की उन्हें अज़ाब करे जब तक ए महबूब तुम उन में तशरीफ़ फरमा हो(कन्जुल ईमान पारा 9 रुकुह 18 )
हज़रात गोया अल्लाह तआला ने इन आयत करीमा में साफ़ तोर पर जाहिर फरमा दिया की मेरा रसूल मोमिन तो मोमिन काफिरो के लिया भी दाफेईल बला है और काफिरो को भी आप की जाट से नफा पहुचता है !
2 अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता हे : और हम ने तुम्हे न भेजा मगर रहमत सारे जहान के लिए (कन्जुल ईमान पारा 17 रुकुह 7 )
गोया अल्लाह तआला ने बता दिया की ए सारी दुनिया वालो तुम को रहमत व बरकत मरे महबूब सल्लल्लाहो तआला व सल्लम के जरिये मिलेगी इसलिए की हम ने सब के लिया रहमत अपने महबूब नबी सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को बनाया हे और जिस घर में रहमत होगी वह घर नेमत व दौलत सुकून व इत्मीनान का गहवारा होगा और जिस मकान में रहमत होगी उस मकान में बला व बीमारी मुसीबत व ज़हमत दूर हो जाएगी तो पता चला की अल्लाह तआला ने अपने हबीब हम बीमारो के तबीब रसूलअल्लाह सल्लल्लाहो तआला व सल्लम को नफा पहुचाने और मुश्किलो को दूर करने वाला बनाया हे
इस पर आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फ़ज़िले बरेलवी रहमतुल्लाह तआला अलैह फरमाते हे
अपनी बनी हम आप बिगाड़े कौन बनाए बनाते यह है!
रफ़ेअ नाफ़ेह शाफ़ेह दफेअ क्या क्या रहमत लाते है !